सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार (आरटीआई) भारत की संसद का एक अधिनियम है जो नागरिकों के लिए सूचना के अधिकार के व्यावहारिक शासन को स्थापित करने और पहले की स्वतंत्रता सूचना अधिनियम, 2002 की जगह प्रदान करता है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भारत के किसी भी नागरिक एक “सार्वजनिक प्राधिकरण” (सरकार का एक निकाय या “राज्य के साधन”) से जानकारी का अनुरोध कर सकता है जो कि शीघ्रता से या तीस दिनों के भीतर उत्तर देने के लिए आवश्यक है। इस अधिनियम के लिए प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण को व्यापक प्रसार के लिए अपने रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत करने की आवश्यकता है और जानकारी के कुछ निश्चित श्रेणियों के लिए ताकि लोगों को औपचारिक रूप से जानकारी के अनुरोध के लिए न्यूनतम सहारा चाहिए।
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बिहार सरकार ने प्रशासनिक पारदर्शिता के क्षेत्र में विशिष्ट पहल करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 29 जनवरी 2007 को “जानकारी” सुविधा केन्द्र की स्थापना की थी। भारतवर्ष में पहली बार बिहार सरकार ने ICT का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम को व्यापक स्तर पर प्रसारित करने एवं आम लोगों के पहुँच में लाने का काम किया है। बिहार सरकार की इस पहल को भारत सरकार द्वारा ई-गवर्नेन्स का उत्कृष्ट उदाहरण मानते हुए पुरस्कृत भी किया गया है और इस क्षेत्र में इसे एक आदर्श के रूप में देखा जा रहा है।
जानकारी के रूप में एक सुविधा केन्द्र की स्थापना की गई है। कोई भी व्यक्ति बिहार में किसी स्थान से 155311 पर फोन करके सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अपना आवेदन लिखवा सकता है जिसे संबंधित कार्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी को डाक/ई-मेल द्वारा भेजा जाता है। अब इस व्यवस्था को विस्तारित करते हुए आम आदमी को ऑनलाईन RTI आवेदन दर्ज कराने की सुविधा प्रदान की जा रही है।
ऑनलाईन “जानकारी” द्वारा कोई भी व्यक्ति “जानकारी” वेबसाईट पर अपना आवेदन दर्ज करा सकता है जिसे विधिवत् आवेदन फीस भुगतान के पश्चात् संबंधित विभाग/कार्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी के पास ऑनलाईन भेज देने की व्यवस्था है। प्राप्ति रसीद ई-मेल के माध्यम में आवेदक को भी भेजने की व्यवस्था है।
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